Tuesday, August 20, 2019

बातों बातों में ना उलझ कर रह जाये ज़िन्दगी
बस इसीलिए आपकी  शायरी का इंतज़ार करते हैं
आप अगर ना भी चाहो तो सनम
हर लफ्ज़ में हम आपका दीदार करते हैं ।।

Tuesday, August 13, 2019

अये बारिश तू आ , रिमझिम नहीं,  घनघोर घटा सी आ
मैं भी तो देखूं , कौन रोकता है उसे मेरे सपनों में आने से ! 

Sunday, August 4, 2019


ये तेरा ख़ामोश रहना
ये तेरी बेचैन सांसे
ये दिलका ज़ोरों से धड़कना
ये तेरी झुकी हुई निगाहें

मेरी तस्बीर में अश्क़ों से
रंगोका  बिखरना लाज़मी था ।।

@कमल

Saturday, August 3, 2019

ये जो ख़ामोशी की चादर
जो मेरे ऊपर देख रही हो
ये तुम्हारे मखमली पैरों के लिए है -

ग़र मैं  तेरे दिल को ना सुन पाऊं
तुंद-लहरें तबाह  कर जाती
तेरी हर एक मुस्कान को  जो गैरों के लिए है ।।

@कमल

Tuesday, July 30, 2019

अब बातें जो शुरू हो ही गयी है तो कलम का क्या
लिखने को तो बहुत कुछ है   मर्ज़-ए-ग़म का क्या
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तभी तो मिले हैं
ये तेरे मेरे दरमियान मोहब्बत के सिलसिले हैं । ।
यूँ तो आज़ाद परिंदे ही थे हम 
    मोह-माया के बंधन से 
कुछ अदरक की महक ने दगा किया 
कुछ मिठास - नशीले होठोंसे । । 

बस , एक प्याली चाय में फंसकर रह गई ज़िन्दगी -

 


दिल तो चाहता है कि इन सुर्ख़ लबोंं पर कुछ लिख डालें शायराना- 
कमबख्त दिमाग है कि होता ही नहीं आशिक़ाना।।

Saturday, July 27, 2019

काश की वो समझ पाते
एक ' सुकून' ढूंढ़ने ही तो हम आते हैं -

दिल का क्या करें-
वो तो पहले ही बंदगी पे
उनके कदमों पर  रख छोड़ा है।।

@ कमल 

Friday, July 26, 2019

चाहते हुए भी अगर जिंदगीको
रुकने का बहाना ना मिला -
आप यूँही दश्त-ए-तसव्वुर में
ठिकानों के बहाने बना लेना।।

@ कमल

Thursday, July 25, 2019

अगर प्यार कम हो भी जाये , कोई ग़म नहीं
अगर प्यार खत्म हो भी जाये , कोई ग़म नहीं
बस इतनी सी इल्तिज़ा है साहिबा
क़यामत तक ,  हमसे नज़रे इनायत रखना ।।

@ कमल

Monday, July 22, 2019

कहते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है 
मैंने तो तेरे कड़वेपन की चाहत में उम्र गुज़ार दी।

Thursday, July 4, 2019

ये ख़ामोशी का आलम 
ये शोर बेवशी का 
कुछ इस तरह छा गया - 

सुकून-ए-दिल ढूंढंने 
हम हुजूम की और चले । ।

Tuesday, July 2, 2019

नदामत नहीं अब इस अकेलेपन की

हम तो दर्जों की तक़सीम कर चुके

चार कदम क्या चलने की कोशिश की

चार जनम  यूँही निकल चुके

तू भूलने की हर नाक़ाम कोशिश तो कर

"याद मेरी ही आएगी"

हम अपनी इबादत में ये ख्वाहिश कर चुके।। 


 

इतनी मसर्रत से न छूना मुझको 
के पिघलना लाज़मी हो जाए 
तेरे हाथों की नर्मी से अये मेहरवान 
उल्फत-ए-बेशर्मी हो जाए।।

 

Monday, July 1, 2019

ये रास्ते का सूनापन ये ख़ुशगवार नज़ारे
    दो पल इनमे मैं जी लूँ
             या फिर जिंदगी इन दो पलों  के सहारे । । 

 

Sunday, June 30, 2019

जी ले तू कुछ इस तरह 
की सिकवा न रहे फिर जिंदगी से 
उड़ चल तू कुछ इस तरह 
की ज़माना हैरां हो तेरी परिन्दगीपे ।।

Thursday, June 27, 2019

ये मदमस्त  बर्फीली फ़िज़ाओं में
तेरे गेसुओं की बिखरी हुई महक

इन तिलिस्मी नजारों में
तुझे ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश करते हैं

बस, यूँही भटकते हुए हम
दिलके तुफ़ाओंको  बदनाम करते हैं ।।      


Tuesday, June 25, 2019

जरा उन उचाईयों को छूकर तो देख 
जहाँ धरती-अंबर एक हो जाये 
दीदार-ए-ज़न्नत की चाहत रख बंदे 
क्या जाने, खारदुंगला में खुदा से गुफ़्तगु हो जाये ।।
खुशबू कुछ इस तरह बिखेर 
कि 'लेह' को तेरी आदत पड़ जाए 
मुहब्बत कुछ ऐसे निभा 
कि ये वादियां इबादत कर जाए।।
सैर इतनी कर तू ज़िन्दगी मे 
होकर बेगाना-ओ-गाफ़िल 
हर ज़िन्दगानी से बढ़कर हो 
तेरी जवानी की एक महफ़िल।
जो आग रोज लगाता था दिलमे 
उसे बुझा दिया तुम्हारे लिए 
फिरसे धुआं निकले तो समझना 
फिरसे जलने का फ़साना तुमही हो ।।
ये फर्क कि बात है कि टूटे हुए दिल में 
उम्मीद अभी बाकी है 
वरना, हम तो तरसते रह गए 
दिल तोड़कर उनकी माफ़ी को ।।
दो लम्हा क्या बिछुड़े 
कुबूल-ए-गुनाह कर दिए
हमने जो गुनाह करने की जहमत उठाई 
ज़र्रे ज़र्रे को तबाह कर दिए।
मुबारक मुक़द्दरवाले हैं वो 
जिन्हें इतनी खुशगवार टेंशन नसीब हो।।
अज़ीब ही तो है वो 
जुदाई के उसूलों को बखूबी निभाता है , 
बस, उसकी रूह तुम्हारे पास है 
उसी को ढूंढने वापस चला आता है।।
तुम एक बार पलटकर देखो तो सही 
      हम आज भी खड़े हैं 
           उन वादों के मज़ार पर।

 
अब नीयत से कैसा शिकवा साहिबा 
पैमाने हर तरफ छलकते तेरी आँखों से 
मैखाना हो या मन्दिर-मस्जिद 
नशा चढ़ जाता है मुलाकातों से ।।
गुज़र गया इश्क़ की गलियों से तब जाकर अहसास हुआ 
न ग़ालिब ना गुलज़ार , मैं बेवकूफ देवदास हुआ।।