Tuesday, July 30, 2019

अब बातें जो शुरू हो ही गयी है तो कलम का क्या
लिखने को तो बहुत कुछ है   मर्ज़-ए-ग़म का क्या
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तभी तो मिले हैं
ये तेरे मेरे दरमियान मोहब्बत के सिलसिले हैं । ।
यूँ तो आज़ाद परिंदे ही थे हम 
    मोह-माया के बंधन से 
कुछ अदरक की महक ने दगा किया 
कुछ मिठास - नशीले होठोंसे । । 

बस , एक प्याली चाय में फंसकर रह गई ज़िन्दगी -

 


दिल तो चाहता है कि इन सुर्ख़ लबोंं पर कुछ लिख डालें शायराना- 
कमबख्त दिमाग है कि होता ही नहीं आशिक़ाना।।

Saturday, July 27, 2019

काश की वो समझ पाते
एक ' सुकून' ढूंढ़ने ही तो हम आते हैं -

दिल का क्या करें-
वो तो पहले ही बंदगी पे
उनके कदमों पर  रख छोड़ा है।।

@ कमल 

Friday, July 26, 2019

चाहते हुए भी अगर जिंदगीको
रुकने का बहाना ना मिला -
आप यूँही दश्त-ए-तसव्वुर में
ठिकानों के बहाने बना लेना।।

@ कमल

Thursday, July 25, 2019

अगर प्यार कम हो भी जाये , कोई ग़म नहीं
अगर प्यार खत्म हो भी जाये , कोई ग़म नहीं
बस इतनी सी इल्तिज़ा है साहिबा
क़यामत तक ,  हमसे नज़रे इनायत रखना ।।

@ कमल

Monday, July 22, 2019

कहते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है 
मैंने तो तेरे कड़वेपन की चाहत में उम्र गुज़ार दी।

Thursday, July 4, 2019

ये ख़ामोशी का आलम 
ये शोर बेवशी का 
कुछ इस तरह छा गया - 

सुकून-ए-दिल ढूंढंने 
हम हुजूम की और चले । ।

Tuesday, July 2, 2019

नदामत नहीं अब इस अकेलेपन की

हम तो दर्जों की तक़सीम कर चुके

चार कदम क्या चलने की कोशिश की

चार जनम  यूँही निकल चुके

तू भूलने की हर नाक़ाम कोशिश तो कर

"याद मेरी ही आएगी"

हम अपनी इबादत में ये ख्वाहिश कर चुके।। 


 

इतनी मसर्रत से न छूना मुझको 
के पिघलना लाज़मी हो जाए 
तेरे हाथों की नर्मी से अये मेहरवान 
उल्फत-ए-बेशर्मी हो जाए।।

 

Monday, July 1, 2019

ये रास्ते का सूनापन ये ख़ुशगवार नज़ारे
    दो पल इनमे मैं जी लूँ
             या फिर जिंदगी इन दो पलों  के सहारे । ।