यूँ तो आज़ाद परिंदे ही थे हम
मोह-माया के बंधन से
कुछ अदरक की महक ने दगा किया
कुछ मिठास - नशीले होठोंसे । ।
बस , एक प्याली चाय में फंसकर रह गई ज़िन्दगी -
मोह-माया के बंधन से
कुछ अदरक की महक ने दगा किया
कुछ मिठास - नशीले होठोंसे । ।
बस , एक प्याली चाय में फंसकर रह गई ज़िन्दगी -
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