Sunday, June 30, 2019

जी ले तू कुछ इस तरह 
की सिकवा न रहे फिर जिंदगी से 
उड़ चल तू कुछ इस तरह 
की ज़माना हैरां हो तेरी परिन्दगीपे ।।

Thursday, June 27, 2019

ये मदमस्त  बर्फीली फ़िज़ाओं में
तेरे गेसुओं की बिखरी हुई महक

इन तिलिस्मी नजारों में
तुझे ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश करते हैं

बस, यूँही भटकते हुए हम
दिलके तुफ़ाओंको  बदनाम करते हैं ।।      


Tuesday, June 25, 2019

जरा उन उचाईयों को छूकर तो देख 
जहाँ धरती-अंबर एक हो जाये 
दीदार-ए-ज़न्नत की चाहत रख बंदे 
क्या जाने, खारदुंगला में खुदा से गुफ़्तगु हो जाये ।।
खुशबू कुछ इस तरह बिखेर 
कि 'लेह' को तेरी आदत पड़ जाए 
मुहब्बत कुछ ऐसे निभा 
कि ये वादियां इबादत कर जाए।।
सैर इतनी कर तू ज़िन्दगी मे 
होकर बेगाना-ओ-गाफ़िल 
हर ज़िन्दगानी से बढ़कर हो 
तेरी जवानी की एक महफ़िल।
जो आग रोज लगाता था दिलमे 
उसे बुझा दिया तुम्हारे लिए 
फिरसे धुआं निकले तो समझना 
फिरसे जलने का फ़साना तुमही हो ।।
ये फर्क कि बात है कि टूटे हुए दिल में 
उम्मीद अभी बाकी है 
वरना, हम तो तरसते रह गए 
दिल तोड़कर उनकी माफ़ी को ।।
दो लम्हा क्या बिछुड़े 
कुबूल-ए-गुनाह कर दिए
हमने जो गुनाह करने की जहमत उठाई 
ज़र्रे ज़र्रे को तबाह कर दिए।
मुबारक मुक़द्दरवाले हैं वो 
जिन्हें इतनी खुशगवार टेंशन नसीब हो।।
अज़ीब ही तो है वो 
जुदाई के उसूलों को बखूबी निभाता है , 
बस, उसकी रूह तुम्हारे पास है 
उसी को ढूंढने वापस चला आता है।।
तुम एक बार पलटकर देखो तो सही 
      हम आज भी खड़े हैं 
           उन वादों के मज़ार पर।

 
अब नीयत से कैसा शिकवा साहिबा 
पैमाने हर तरफ छलकते तेरी आँखों से 
मैखाना हो या मन्दिर-मस्जिद 
नशा चढ़ जाता है मुलाकातों से ।।
गुज़र गया इश्क़ की गलियों से तब जाकर अहसास हुआ 
न ग़ालिब ना गुलज़ार , मैं बेवकूफ देवदास हुआ।।