जरा उन उचाईयों को छूकर तो देख
जहाँ धरती-अंबर एक हो जाये
दीदार-ए-ज़न्नत की चाहत रख बंदे
क्या जाने, खारदुंगला में खुदा से गुफ़्तगु हो जाये ।।
जहाँ धरती-अंबर एक हो जाये
दीदार-ए-ज़न्नत की चाहत रख बंदे
क्या जाने, खारदुंगला में खुदा से गुफ़्तगु हो जाये ।।
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