Tuesday, June 25, 2019

दो लम्हा क्या बिछुड़े 
कुबूल-ए-गुनाह कर दिए
हमने जो गुनाह करने की जहमत उठाई 
ज़र्रे ज़र्रे को तबाह कर दिए।

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