Tuesday, September 15, 2020


दास्तान-ए-ईश्क कैसे करूँ बयाँ --

इक उनके चाहत-ए-दीदार-ए-नज़र में

ता-उम्र निकल गई

और , हसीनों  का काफिला 

मेरी गली से होकर गुज़र गया।


 

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