Wednesday, September 30, 2020

 

अदाओं पे उनकी हम पागल हो चुके थे
कभी बरसने वाला बादल हो चुके थे

नज़रो कि तिर से घायल हो चुके थे
बस उनके पैरों की पायल हो चुके थे

गैर कश्ती को मिलनेवाला साहिल हो चुके थे
हम खुद ही दिलके अपने कातिल हो चुके थे

रात की खामोशी के संगेदिल हो चुके थे
उन्हें दिल देकर हम बे-दिल हो चुके थे।।

@कमल नूहिवाल " धरमवीर "


 

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