अदाओं पे उनकी
हम पागल हो
चुके थे
कभी न बरसने
वाला बादल हो
चुके थे
नज़रो कि तिर
से घायल हो
चुके थे
बस उनके पैरों
की पायल हो
चुके थे
गैर कश्ती को न
मिलनेवाला साहिल हो चुके
थे
हम खुद ही
दिलके अपने कातिल
हो चुके थे
रात की खामोशी
के संगेदिल हो
चुके थे
उन्हें दिल देकर
हम बे-दिल
हो चुके थे।।
@कमल नूहिवाल " धरमवीर "
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